आशुकवि नीरज अवस्थी मकर संक्रांति हास्य अवधी गीत

मकर संक्रांति के अवसर पर समस्त सहित्यप्रेमियो को सादर निवेदित चंद पंक्तियाँ~~
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सप्त दिवस के अश्वों से युत,रथ पर दिनकर चलते है।
मकर राशि में रवि प्रवेश की नीरज रचना करते है।।
तिल-तिल करके दिन बढ़ने का,पर्व मकर संक्रान्ती का।
कटी पतँगों आओ मित्रों,पुनः लूटने चलते है।।
आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950



मकर संक्रान्ति 2020 की हार्दिक मंगलमय शुभकामनाओं सहित---
आप लोंगो की डिमांड (हास्य)को ध्यान में रख कर आज आप सब की मांग भर रहा हूँ।
पंक्तियाँ निवेदित करता हूँ।~


खिचड़ी का आनन्दु बतावति है सब जन बंगाल मा।
लेकिन हमका बड़ा मजा आवा खिचडीम ससुराल मा।।


सारी और सरहजै हौले -हौले घुझका मारि रही।
सासु हमारी खिचड़ी मैहा देशी घिउ अर्राय रही।।
ससुर जलावै कोइरा,साला हाँथु लगावै गाल मा।
लेकिन हमका बड़ा मजा आवा खिचडीम ससुराल मा।।


लहसुन क्यार अचार सुहाने लिज्जत पापड़ भूजेगे।
गाजर मूरी प्याज टमाटर आलू बैगन भूँजेगे।।
सास टोमेटो आंवला कि चटनी हरी उरद की दाल मा।
लेकिन हमका बड़ा मजा आवा खिचडीम ससुराल मा।।


पूरी सब्जी मिक्स कचौड़ी रात में खूब पनीर छना।
लाई सेतुवक लडुआ ओर कतलिया आंबा झोर बना।
तिल खुटिया मुम्फली दलिद्दर भी चाबेन ससुराल मा।।
लेकिन हमका बड़ा मजा आवा खिचडीम ससुराल मा।।


भोर भवा सायकिल सँभारेन देखेन पहिया पिंचर है।
सारी सरहज सूजा भोकिन समझि गयेन का चक्कर है।
कौनिव तनते घर का आयन कौन परे जंजाल मा।
लेकिन हमका बड़ा मजा आवा खिचडीम ससुराल मा।।


आप सब का ~
आशुकवि नीरज अवस्थी
14/01/2020 मंगलवार
+91 9919256950
9554877950


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