नाम - अनूप सत्यवादी
पता - लखनऊ
मो०न० - 93054 13741
कविता ---
हिन्द की धरा पे देश हित प्राण देने वाले,
रणबांकुरों की अभिव्यक्ति को प्रणाम है।
वैभवादि गृह सुख भोग को न चाहा कभी,
बलिदानी वीरों की विरक्ति को प्रणाम है।
जिस पथ पढ़े पांव उनके पवित्र उस,
पथ की चरण रज शक्ति को प्रणाम है।
माता ये शहीदों की व माता भारती है धन्य,
बार-बार भारती की भक्ति को प्रणाम है।।
मुक्तक
भले कुछ कम करो लेकिन थोड़ा वादा जरूरी है।
दृढ़ राष्ट्र भक्ति का अटल इरादा जरूरी है।
है बेशक व्यक्तिगत दायित्व हम सब को निभाने पर।
वतन से प्रेम इससे भी कहीं ज्यादा जरूरी है।।
जय हिंद वंदे मातरम्🙏
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें