ग़ज़ल
तू मुझे अपना बना लो ,मैं तुझे दिल में बसा लूंगा,
तू मुझे दिल में जगह दो, मैं तुझे सदा फसा लूंगा।
मैं अपने धड़कन को तेरे लहू से सजा कर रखा हूं,
तू मेरी सजा बनी है ,मैं तुझे ख़्वाब में कसा लूंगा।
जबतक मेरा ख़्वाब में है,तभी तक मेरी सांस है,
यह अजनबी चेहरा छोड़ देगा तो ,मैं नशा लूंगा।
तेरे लब का असर इस क़दर है कि तुझे क्या वताऊ
तू लब से बाज़ी छोड़ देगी ,ओर को न बसा लूंगा।
यदि तू मुझे छोड़ेगी तो, कर्जदार बन जाऊंगी तू,
तू हर वक्त साथ है, मैं नये जीवन को बरसा लूंगा।
तेरे तलाश में प्राण दे दूंगा तुझे भूल नहीं पाऊंगा,
तू भूल भी जाऊंगी ओर पे दिल को न तरसा लूंगा
कवि/लेखक/ग़ज़लकार
शायर
अनुरंजन कुमार "अंचल"
अररिया, बिहार
7488139688
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