नाम : अपर्णा शर्मा
"शिव संगीनी"
विधा : कविता
शीर्षक: दर्द
राज्य : अंकलेश्वर,
गुजरात
*दर्द*
यादें मेहमानों की तरह
आती जाती हैं
जो बिन बताए कहीं भी
मिल जाती है
इनके जाने के बाद दिल में
तूफान सा मचता है
जिसे जितना दबाए उतना
उभर आता है
दबे हुए जख्मों को फिर से
उभार देता है
जिंदगी तेरे बिना यूँ ही कट जाती है
तेरी यादें इस दिल में लौट आती हैं
दर्द जुदाई का जो तुम देकर जाते हो
अब हाल मेरा ऐसा है ना मरती हूँ ना जीती हूँ
यादें मेहमानों की तरह आती जाती हैं
जो बिन बताए कहीं भी
मिल जाती है।
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