अर्चना पाठक  निरंतर  अम्बिकापुर सरगुजा

नाम-अर्चना पाठक 'निरंतर'
पता-अम्बिकापुर,सरगुजा छ.ग.
मो०-9424257421


कविता


संवाद
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मौन ही करता रहा,
मौन से संवाद।
दिल बहुत व्याकुल हुआ,
और घिर गया अवसाद।


 बिन सहारे  रह न पाऊँ,
 कह रहे  ये दिन से रात
 चाँद भी अब मुँह चिढा़ये,
 जुट गई है कायनात। 


 छेड़ कर झंकार वो
 दे गया इक याद
 मौन ही करता रहा
 मौन से संवाद। 
 दिल बहुत.... 


 हाथों में मिल गये हाथ
 और नैन हैं अभिराम  ।
 भीगती पलकें झुकी 
  फिर कहाँ विश्राम ।


मूक भी वाचाल है
दिल हुआ आजाद। 
मौन ही करता रहा 
मौन से संवाद
 दिल  बहुत.....


विस्मृत पटल पर खींचती
उष्ण सी कलियाँ उदास।
सो रही सुर गामिनी
भर के ले श्वासों में श्वास।


छल कपट से जो मिला 
कब रहा है वो आबाद।
मौन ही करता रहा
मौन से संवाद
दिल बहुत....


 पलकों पे  अश्रु टिके कुछ 
 कुछ लुढ़कते ही रहे ।
 भाल उर स्वर वेदना के
  रूद्ध क्रुद्ध क्रंदित हुए।
  
   झील चक्षु  हैं ये खारे
   रिस रहे हैं बन मवाद।
   मौन ही करता रहा
    दिल...


अर्चना पाठक  निरंतर 
अम्बिकापुर


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