अपराधी :-
मैं अपराधी हूँ,
क्योंकि मैं सच को सच,
झुठ को झुठ कह जाता हूँ.
कोई मुझे चालाक समझता,
कोई बेवकूफ कहता है.
घरवाले भी आधी छिपाते,
आधी बताते है.
जब बिगड़ जाता कोई काम,
दोषी मुझे ही ठहराते है.
हाँ मैं अपराधी हूँ,
क्योंकि मैं सदा मुस्कराता हूँ,
रहना चाहता हूँ शान्त,
पर रह नही पाता हूँ.
स्वरचित,
अतिवीर जैन,पराग,मेरठ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें