अवनीश त्रिवेदी "अभय"
सीतापुर- उत्तर प्रदेश
बसंत अभिनन्दन
ऋतुराज बसंत को कोटि प्रणाम हैं।
प्रकृति बदल रही अपने आयाम हैं।
भीनी महक़ चहुँओर फ़ैल रही हैं।
मदमस्त नायिकाएँ टहल रही हैं।
हर वातावरण सुगंधित हो रहा हैं।
दृश्य देख जहाँ अनंदित हो रहा हैं।
प्यारे लगे ये सरसों के फूल हैं।
फ़िज़ा में उड़ती संझा की धूल हैं।
मनोरम छवियाँ चहुँओर दिखती हैं।
हर जगह नेह कहानियां लिखती हैं।
पवन बसंती हिचकोले भरती हैं।
सबको छूकर मनमानी करती हैं।
बागों में कोयल की मधुर तान हैं।
सबसे सुंदर ये अपना जहांन हैं।
सुबह मनमोहक मतवाली शाम हैं।
ऋतुराज बसंत को कोटि प्रणाम हैं।
अवनीश त्रिवेदी "अभय"
सीतापुर- उत्तर प्रदेश
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