अवनीश त्रिवेदी "अभय"
विदाई गीत
बाबा मुझकों न भेजों इतनी दूर।
ये जानें कैसा जहाँ का दस्तूर।
बहुत याद आयेगी माँ की लोरी।
गुझियां,पापड़,खुरमे वाली होरी।
दीवाली में छत पर दियें जलाना।
मिठाई सबसे पहले मुझे खिलाना।
हमें रूठने पर अब कौन मनाएगा।
परियों की कहानी कौन सुनाएगा।
माँ-बाबा कभी मुझे भुला न देना।
आएँ- गए रहना कभी रुला न देना।
जहाँ जन्में वो आँगन छोड़ना हैं।
अब हमको नया रिश्ता जोड़ना हैं।
अवनीश त्रिवेदी "अभय"
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