चंचल पाण्डेय 'चरित्र'
वसंत पंचमी
छंद कलाधर
श्वेत वस्त्र धारिणी सुहंस पै रही सवार,
मातु ज्ञान दान दे सुचेतना उभार दे|
अंधकार हार के हरो सभी हिये विकार,
दिप्त शुभ्र विश्व में सुलोचना पसार दे||
तत्व ब्रह्म वेद की समस्त ज्ञान धारिणी तु,
लेखनी मयूर पंख छंद बंध सार दे|
शब्द शब्द में रहे स्वराष्ट्र भावना समाय,
नीति सूर्य के समान रोशनी निखार दे||
भक्ति भाव ज्ञान से हरो सभी मनोविकार,
दिव्य भूमि आज राम राज्य को प्रसार दे|
पाप अंधकार गर्त छाँट के कुतंत्र मंत्र,
सत्य सूर्य चंद्र सर्व प्राण में उतार दे||
स्वप्न ले हजार द्वार पे खडा निहार मात,
काव्य शिल्प व्यंजना प्रगीत - गीत वार दे|
आपकी उदारता महानता विशुद्ध शुद्ध,
हो सके पधार मातु मंच को प्रसार दे||
हस्त बद्ध हो चरित्र भाव ले हिये पवित्र|
श्लेष वंदना करें सदा चरित्र शारदे||
चंचल पाण्डेय 'चरित्र'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें