डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज' दोहा मुक्तक दाँव-पेंच अब छोड़ दो,

डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज' दोहा मुक्तक
दाँव-पेंच अब छोड़ दो,करो न थोथे काम।
मिट जायेगा इस तरह, नहीं चलेगा नाम।
उम्र बीतने तलक अभी,गर नहिं आया होश,
'सहज' यकीनन तय शुदा, मानो काम तमाम।
@डा.रघुनाथ मिश्र 'सहज'
अधिवक्ता/साहित्यकार 


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