डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून, उत्तराखंड
हे हंसवाहिनी!
आ सबके घर में।
उतर कर सबके हृदय से
ईर्ष्या-द्वेष दूर कर दे,
शूल पथ के सारे चुन कर
चहूँ ओर सुमन भर दे,
हे वीणावादिनी!
आ सबके घर में।
चीर कर घनघोर तिमिर
प्रकाश का रंग भर दे,
अज्ञानमय इस जग में आ
ज्ञान का रंग भर दे,
हे ज्ञानदायिनी!
आ सबके घर में।
राह से भटके हुए नहीं जानते
क्या लक्ष्य है जीवन का,
बस चल रहे बिन सोचे-समझे
दुरुपयोग करते समय का,
हे नवान्नदायिनी!
आ सबके घर में।
मेरे शीश पर सदा तेरा हाथ हो
बनूँ छाया धूप के लिए,
वेदना के गहन क्षणों में साथ हो
चलूँ दीन-दुखियों के लिए,
हे सुखदायिनी!
आ सबके घर में।
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डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून, उत्तराखंड
9759252537
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