डाॅ. मिलिंद साळवे आसमान झुकता नहीं आभास होता है

डाॅ. मिलिंद साळवे


आसमान झुकता नहीं आभास होता है,
क्यूँ करे भरोसा ईश्वर
आभास होता है ।


कसमें तो बहुत खाई थी विश्वास था हमें,
तोडकर जाना कसमे आभास होता है ।


किस किस को बताये हम भी सब झूठ है,
मरने के बाद स्वर्ग एक आभास होता है ।


देवी बनाकर नारी की पूजा करते हैं,
नारी का देवी रूप आभास होता है ।


जरूरी नहीं भजन कीर्तन सुहाता है उसे,
उसकी पसंदी नापसंद आभास होता है ।


मीठे बोल अनमोल होते हैं सबके लिए,
बातों में शक्कर होना आभास होता है ।


जो है सभी नक्षत्रों का परिनाम कहते हैं,
ग्रहों इच्छा से जिंदगी आभास होता है ।


भूतों की प्रजातियाँ दोजख बनाए जीवन,
भूतों की सच्चाई भी आभास होता है ।


जो कुछ होता है हमारे किए ही होत है,
हमारा इंकार करना आभास होता है ।


              डाॅ. मिलिंद साळवे


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