डाॅ0 महालक्ष्मी सक्सेना मेधा
उल्लाला छंद
नारी बहुत महान है,
बनी धरा पर शान है।
द्वय कुल का अभिमान है,
रखती सबका ध्यान है।।
ईश्वर का वरदान है,
मर्यादा की आन है।
जननी है जयगान है,
पाती नित सम्मान है।।
सभी पूज्य ही मानते,
सुंदर गुण पहचान को।
विश्व जगत जननी कहे,
देव दे रहे मान को।।
रखती ममता मात की,
सुत के चारों धाम है।
हर संकट अब दूर है
सुलभ बनाती काम है।।
-डाॅ0 महालक्ष्मी सक्सेना मेधा
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