देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"
जल में या थल में....
जल में रहूं या थल में।
आकाश छु लूं पल में।।
कोशिश है मेरी जारी ;
भरोसा अपने बल में।।
सावधानी रखता हूं मैं;
मेहनत न जाए जल में।।
शत्रु के चाल समझूं मैं;
फांसे न कोई छल में।।
वक़्त का मोहरा नहीं मैं ;
कुछ तरकीब पहल में।।
कोई साथ दे,ठीक,वर्ना ;
अकेले काफी महल में।।
कोई परवाह नहीं"आनंद"
नज़र है सिर्फ फल में।।
-देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"
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