देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"  आंखों का सागर..

देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"


 आंखों का सागर.............


आंखों का सागर , कभी सूखता नहीं।
आशीष आे प्यार,कभी बिकता नहीं।।


इसमें प्यार से झांककर तो देखा करो;
एक बार बसे तो  कभी मिटता  नहीं।।


आंख की भाषा दिलवाले ही समझते;
दिल न लगा तो कभी समझता नहीं।।


दिल में गम भी हो,मुस्कुराओ जरूर ;
आंख भिगोने से ये कभी घटता नहीं।।


हवाएं बह रही है राजनीति,स्वार्थ की;
मुल्क का स्वार्थ, कभी दिखता नहीं।। 


जहां मौका लगा, उल्लू सीधा किया ;
राजनीति का धंधा कभी घटता नहीं।।


हम तो मूर्ख, निपट गंवार हैं"आनंद" ;
आंखों में स्वार्थ  कभी दिखता नहीं।।


----- देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी


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