देवी तुल्य है नारी...
वाह रे पुरुष समाज ,
क्यूं करूं मै तुझ पर नाज,
तूने कर दिये रिश्ते तार-तार,
है प्रभु सुन लो मेरी पुकार ,
फिर से ले लो अवतार ,
बड़ गया यहां व्यभिचार ,
भारत भूमि हो रही शर्मशार,
कब तक नारी सिसकती रहेगी ,
कब तक नारी जुर्म सहती रहेगी ,
कैसा कानून कैसी व्यवस्था ?
चरित्र हो रहा यहाँ सस्ता,
बडी़ मधली,छोटी को खा रही है,
देश की तरक्की गर्त मे समा रही है,
विवेकानन्द का सपना हो रहा चकनाचूर,
युवा हो रहा संस्कारों से दूर,
अनुशासन भंग हो गया,
युवा नशे में खो गया,
अब शिराओं में धुआं बह रहा है,
मां का आंचल शर्मिंदा हो रहा है,
देवी तुल्य है नारी ,
यह हमें भान होना चाहिए ,
हम भी किसी के लाल है ,
यह हमें ज्ञान होना चाहिए ,
सम्पूर्ण पुरुष प्रधान समाज से,
प्रश्न करें आज मंगलेश ,
कब सुधरेगा यह परिवेश ?
क्यों धिक्कारे हम संस्कारों को?
क्यों न सुधारे हम अपने विचारों को?
जिस दिन दृष्टि में सुधार आयेगा ,
उस दिन अपराध स्वतः खत्म हो जायेगा।
*डॉ मंगलेश जायसवाल*
*कालापीपल मंडी,जिला शाजापुर(म. प्र.)*
*मोबाईल:9926034568*
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