डॉ.आभा माथुर राम

*राम*
यूँ ही नहीं समा गये,
जनमानस  में  राम
लोकादर्श  के  गढ़े
नवल धवल प्रतिमान
पित्राग्या  धारण करी
रचा  एक  आदर्श
दारा ,भ्राता संग ले
वन गमन किया सहर्ष
जीवन मुक्त किया लंकेश
बाँध  बना  सागर पर
पुनरागमन कर जन्मभूमि को
हर्ष दिया जनता को
पाया सुख फिर भी नहीं
किया  भार्या  त्याग
जन इच्छा का मान रख
पाई  विरह  की  आग
गरल  विरह का पान कर
कर्म  किये निष्काम
इसीलिये  स्थापित मन में
 हर  हिन्दू के राम
              *डॉ.आभा माथुर*


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