नाम-डॉ अरविंद श्रीवास्तव
पता-150,छोटा बाजार दतिया (म•प्र•)
मोबाइल-9425726907
गीतिका
हो गया अब कितना दूषित मुल्क का पर्यावरण है।
सभ्यता के नाम पर विगड़ा हुआ वातावरण है ।
राह वापू ने अहिंसा की दिखाई थी हमें
पहिनते गांधी की टोपी हिंसा का ही अनुसरण है।
राम का गुणगान है पर उर में रावण को बसाया
नारियों का है निरादर हर तरफ सीता हरण है।
दिख रही सुन्दर धरा,अम्बर दिशाएं प्रेम पूरित
पर बदलता जा रहा नित प्रेम का सब व्याकरण है।
बृद्ध मां और बाप को सुत भेजते बृद्धाश्रमों में
'दर्द ' अब इस दौर में रिश्तों का व्यापारीकरण है ।
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
डॉ अरविंद श्रीवास्तव दतिया गीतिका
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