डॉ मंगलेश जायसवाल कालापीपल
गजल
ज़माना गुजर गया, मै भी गुजर जाऊँगा।
बहाना आँसू सब,मै नज़र नही आऊँगा।।
कभी तश्वीर मे ढूंढोगे मुझे एक दिन सभी।
मगर मै आसमां मे सितारा बन जाऊँगा।।
ना कोई शिकवा ना कोई गिला किसी से।
गर्त के आगोस में एक दिन समां जाऊँगा।।
तालीम रखना याद तासीर को भूल जाना।
फिर भी हरपल तुझे मै राह दिख लाऊंगा।।
याद मे मंगलेश की अश्क ना बहाना कभी।
लाख चाहोगे तुम लौट कर मै नही आऊँगा।।
यह दीवारे यह शहर यह राहे और तुम भी।
भुला दोंगे सभी मगर मै भुला ना पाऊंगा।।
सोचोगे इत्मीनान से कभी मेरे बारे मे तुम।
जब तक तो मै यहाँ से रूकसत हो जाऊँगा।।
डॉ मंगलेश जायसवाल कालापीपल
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