डॉ. प्रभा जैन "श्री " देहरादून बसंत  -------- खिल    जाता मन 


डॉ. प्रभा जैन "श्री "
देहरादून


बसंत 
--------
खिल    जाता मन 
सुनते ही नाम बसंत। 


सूरज की पहली किरण 
देखती धरा को मग्न, 
खिल गए फूल- फूल 
और खिली सरसों क्यारी। 


चल रही ठंडी  मधुर बयार 
कली -कली भँवरा  मल्हार, 
पत्ती -  पत्ती    डोल   रही 
गीत    सुहाने    बोल रही। 


पक्षियों   की   धुन  निराली
प्रार्थना प्रभु जी की कर डाली
राग    बसंती    गा   रहे, 
कोयल कुहू -कुहू कर रही। 


स्वर्ग   सा   नज़ारा  
बिखरा    धरा  पर, 
ऋतुओं का राजा 
बसंत, आया धरा पर
तितली भी मग्न हो रही। 


पीले वस्त्रों में आओ सखी 
प्रेम के गीत गाओ सखी,  
पीले चावल भोग लगाओ 
भर लो आँचल खुशियों से। 


सुन्दर   पवन    संग
 नृत्य  कर लो सखी। 


स्वरचित 
डॉ. प्रभा जैन "श्री "
देहरादून 9756141150.


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