डॉ. प्रभा जैन "श्री "  देहरादून पतंग कविता

नाम :डॉ. प्रभा जैन "श्री "
              देहरादून 
मो. 9756141150.


कविता :पतंग 
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रंग-बिरंगी-नीली-पीली-लाल 
उन्मुक्त उड़ती विशाल गगनमें
बन    चंचल   बसंती    नार.


ले पवन का संग, उड़ती पतंग 
कभी   सूरज  से मिल  आती 
 नीलगगन में दिशा तलाशती. 


खुला आसमान हैं उसका घर 
सर्र-सर्र   करके  वो  उड़ती 
अपनों  से  मिलकर वो आती.


देती   शिक्षा    हैं    पतंग 
हाथ   में   किसी   के   भी 
हो चाहे वो हिन्दू, सिक्ख, 
मुसलमान, जैन,  पारसी 
ना देखो धर्म की नज़र से. 


ऊंचाई  आकाश की देखो 
भारत को महान बनाओ 
जहाँ-जहाँ से दिखता  भारत 
वहाँ तक अपनी पतंग उड़ाओ


ना काटो गला, गले लग क़र 
प्रेम-संदेश भारत  में फैलाओ 


स्वरचित 
डॉ. प्रभा जैन "श्री " 
देहरादून


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