डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव पिता का नाम -स्वर्गीय श्री प्रेमचंद प्रसाद वर्मा,
माता का नाम- श्रीमती सुनैना देवी
जन्म स्थान दमोह मध्य प्रदेश
शिक्षा- एमबीबीएस डीसीपी डीसीएमएच।
संप्रति- चिकित्सा शिक्षा
लेखन की विधा- गीतिका ,कविता, लेख , कहानियां प्रकाशन- कथा अंजलि कथा संग्रह, लेख अंजलि.
सम्मान विद्यावाचस्पति विशिष्ट साधक संघ विशिष्ट सहायता साहित्य साधक सम्मान ,वरेण्य साहित्यकार/समाज सेवी स्व. कृष्ण स्वरूप अग्रवाल स्मृति सम्मान।
सम्पर्क-9450022526
E mail.drpraveenkumar.00gmail.com
देश के तुम प्रथम प्रहरी, राष्ट्र का सम्मान हो।
देश के तुम सजग सैनिक ,देश की तुम आन हो ।
हे शहीदों राष्ट्र की तुम, नींव रखते जा रहे ,
हे जवानों, सैन्य वीरों, देश की तुम शान हो।
देश को जग में अकेला, छोड़ सैनिक चल दिये,
मातु का आशीष लेते, वीर का प्रतिमान हो।
देशहित कुमकुम निछावर, कर दिया अब मातु ने,
राष्ट्र हित बलिदान होते, वीर का प्रतिमान हो।
वीर मिलते है जहां पर, वीरता से साथियों,
धीर मिलते हैं वहां पर, धीरता की जान हो।
हे जवानों, फौजियों, तुम शूरता की माप हो ,
देशहित बलिदान होते वीर का परिणाम हो ।
फौजियों के साथ मिलकर, फौज के हमराज हो ,
वीरता के तुम पथिक हो वीरता की खान हो ।
तुम प्रलय के गीत बनकर, गूंजते ब्रह्मांड में ,
सैनिकों के सैन्य बल पर ,हम सभी कुर्बान हो।
गोलियों के साथ खेले ,शूरवीरों है नमन ,
वीरता के इस समर में ,शूर का अभिमान हो ।
हे शहीदों, हे जवानों राष्ट्र करता है नमन ,
देशहित करते निछावर सैनिकों का गान हो।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें