डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"  दोहा छन्द शीर्षकः भौंक रहा फिर दहशती


डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" 


दोहा
छन्दः मात्रिक
शीर्षकः🤔 भौंक रहा फिर दहशती☝️
रहता  है  जिस देश  में , किया  उसी से घात।
आया    भारत    लूटने , आतंकी     औकात।।१।।
भौंक रहा फिर दहशती,जु़ल्म आठ सौ साल।
दम्भ विनाशी सल्तनत , किया वतन बदहाल।।२।।
कौमी नफ़रत आग को , फिर  भड़काता दुष्ट।
दिवा  स्वप्न फिर  देखता , मुगलीयत बन रुष्ट।।३।।
हिन्दू  से   वह  पूछता , पुरुखों  की  पहचान।
कुएँ   के मेढक समान ,बकता  लोक  महान।।४।।
अतीत   लाखों  वर्ष  का , गौरवमय  आचार।
प्रेम  अमन  सहिष्णुता , दे   षोडश  संस्कार।।५।।
समरसता  की  भेंट   दी , भू  माना  परिवार।
मातु पिता व गुरु अतिथि , मानवता  आधार।।६।।
पूछ   रहा   काफ़िर ये , हिन्दू  से    योगदान।
बने    लूटेरे    दहशती , कातिल  वे   शैतान ।।७।।
मार काट नफ़रत फ़िज़ा,ले मज़हब की आड़।
लिया पाक पहले वतन ,फिर आतुर दो फाड़।।८।।
फैला     इस्लामीकरण , ज्ञान   नहीं  इस्लाम।
अमन प्रेम खुशबू  सुकूं , है कुरान  अल्फ़ाम।।९।।
बचे   हुए    गद्दार   कुछ , दे  आतंकी  साथ।
चमकाते    नेतागिरी , दे   मुस्लिम  को  हाथ।।१०।।
बेच  जम़ीर  खुद्दारियत , नफ़रत  की  दीवार।
शिक्षा  से  शाहीन   तक , दंगा   के   सरदार।।११।।
भारत  की  चिन्ता  यही , फैले   कुछ  गद्दार।
करें  एक  बन अरि दलन , हम  हैं चौकीदार।।१२।। 
जयचन्दों   को  चूनकर , भेजो  मीसा   जेल।
दमन   करो  आतंक  को , दंगाई   का  खेल।।१३।।
जन मन हित से हो विरत , हिंसा  में आसक्त।
फैलाए     उत्तेजना , सजा  उसे   दो   सख्त।।१४।।
आवाहन  सरकार   से , बने   सख्त   कानून।
जो  द्रोही  पाकी  वतन , भरो  जेल  या  भून।।१५।।
एन  आर  सी  नाम  पर , आन्दोलन  उन्माद।
सी ए  ए   अनज़ान  जो , तुले   देश    बर्बाद।।१६।।
शह  देते  नेता  यहाँ ,  शाहिन    बागी    द्रोह।
आज़ादी   जिन्ना  वतन , माँगे  पाक    गिरोह।।१७।।
हो  कठोर  शासक  वतन , समूल नष्ट  नासूर।
हो निकुंज समरस वतन, सुखद शान्ति दस्तूर।।१८।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचना: मौलिक(स्वरचित)
नयी दिल्ली


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