डॉ० धाराबल्लभ पांडेय, 'आलोक'  पिता

🙏पिता को नमन🙏


विधा- कवित्त या मनहरण वर्णिक वृत्त। ८+८+८+७   ३१ वर्ण। ४ चरण।


पिता सदा पालक हैं।
घर के संचालक हैं।
सदा पितृ छाया में, 
जीवन बनाइये ।।


पिता जीवन की आन।
पिता ही घर की शान।
पिता का ही नाम सदा,
ऊंचा उठाइये।।


पिता, गृह पोषक हैं।
पिता ही संरक्षक है।
पिता से ही ज्ञान पाय,
जीवन बढ़ाइए।।


पिता से ही प्यार मिले।
घर में संस्कार मिले।
जीवन में ज्योति जले।
पितृ प्रेम पाइये।।१।।


पिता से समाज मिले।
पिता से पछ्याण बने। 
पिता से ही ज्ञान मिले। 
पिता को आराधिये।।


पिता लोक-लाज मिले।
आन-बान-शान मिले।
ज्ञान व सम्मान मिले।
ज्ञान अवधारिये।।
 
जीवन की राह मिले।
उन्नति का मार्ग मिले।
आदर सम्मान मिले।
पिता न विसारिये।।



पिता का ही नाम पाय।
पिता से संस्कार पाय।
जीवन की राह पाय,
सतत विचारिए।।२।।


पिता ही परमदेव ।
पिता ही आराध्य देव।
मातृ-पितृ ज्ञान मान, 
जीवन उतारिए।।


मातृ पितृ गुरु देव।
जीवन आधार ध्येय।
दिव्य ज्योति को सतत,
हृदय प्रकाशिए।।


पितृदेव, मातृदेव,
गुरुदेव, अतिथिदेव। 
भारतीय संस्कृति का,
मान अवधारिये।।


पिता की चरण धूलि।
मां की आंचल की भूमि।
गुरुजी से ज्ञान पाय,
संस्कार पाइये।।३।।


डॉ० धाराबल्लभ पांडेय, 'आलोक' 
29, लक्ष्मी निवास, कर्नाटक पुरम, मकेड़ी, अल्मोड़ा, पिन-263601
उत्तराखंड, भारत।
मो०नं० 9410700432


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