एस के कपूर श्री हंस*
*बरेली* मुक्तक
संभाल कर रखो अपने रिश्तों को।*
*।।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।।।।।।*
सच्ची दोस्ती तो बस महोब्बत
की मेहमान होती है।
गर आ जाये बेरुखी तो फिर
ये अनजान होती है।।
बुला लो जो बिछुड़ गये रिश्ते
यूँ ही हाथ से फिसल कर।
जरा आवाज़ देकर देखो तो टूटे
रिश्तों में भी जान होती है।।
*गर चाहें तो हर तदबीर बदल सकते हैं।*
*।।।।।।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।*
गर इरादे मजबूत हों तो तकदीर
बदल सकते हैं।
हम चाहें गर तो हर तकरीर
बदल सकते हैं।।
किस्मत मोहताज नहीं होती
हाथ की लकीरों की।
ठान ले जब हम तो पूरी तसवीर
बदल सकते हैं ।।
*रचयिता।।।एस के कपूर श्री हंस*
*बरेली*
मोबाइल 9897071046
8218685464
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