*जीवन तेरा शमशान किसलिये है*
।*
*।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।।।*
इस कदर यह गुस्सा और,
अभिमान किसलिये है।
उबलती नफरतों का यह,
तूफान किसलिये है।।
इस आग में जल कर तू,
भी हो जायेगा खाक।
कह उठेगा तब कि तेरी,
दुनिया वीरान किसलिये है।।
*रचयिता।।।एस के कपूर श्री*
*हंस।।।।।बरेली।।।।।।।।।।।*
मोब 9897071046।।।।।
8218685464।।।।।।।।।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें