एस के कपूर श्रीहंस बसंत मुक्तक माला

एस के कपूर श्रीहंस बसंत मुक्तक माला


(1)


*शरद ऋतु का अंत,,,,,,,बसंत*
*।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।।।*


शरद ऋतु  को  करके  प्रणाम
अब खुमारी सी  छाने लगी है।


लगता है ऋतु राज़  बसंत की
रुत अब कहीं  आने  लगी है।।


माँ सरस्वती का  आशीर्वाद तो
अब   पाना  है   हम   सबको।


मन की पतंग भी अब खुशियों
के   हिलोरे   खाने   लगी   है।।


*रचयिता।।एस के कपूर श्री हंस*
*बरेली*


(2)
*ऋतु राज़ बसन्त।।।।।।।।।।*
*।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।।।।*


पत्ता  पत्ता   बूटा   बूटा  अब
खिला खिला   सा तकता है।


धवल रश्मि  किरणों सा अब
सूरज   जैसे     जगता     है।।


मौसम चक्र में मन  भावन  सा
परिवर्तन  अब   आया   जैसे।


ऋतु राज  बसन्त  का  अवसर
अब   आया   सा  लगता  है।।


*बसंत पंचमी की अनंत शुभ*
*कामनाओं सहित।।।रचयिता*
*एस के कपूर श्री हंस।।।बरेली*


मोब 9897071046।।।।।।।।
8218685464।।।।।।।।।।।।।


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