गनेश रॉय "रावण"🖋 भगवानपाली,मस्तूरी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ बेजान सी मूरत"

 


"गनेश रॉय "रावण"🖋
भगवानपाली,मस्तूरी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ बेजान सी मूरत"
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एक छोटी सी गली में...
एक मासूम सी काली थी
आते-जाते मुझे .......
एकटक देखा करती थी
कभी हँसती थी
कभी शर्माती थी
कभी पाँवो में पायल
कभी जुड़े में गजरा
कभी होंठो पे लाली
कभी माँथे पे बिंदिया
कभी हाथो में कँगन
कभी आँखों मे काजल
कभी कमर में करधानिया
नाजाने........कितने....
सोलह श्रृंगार करती थी
कहना चाहती थी कुछ बात
फिर किस बात से वो डरती थी
गाँव की तंग गलियों में....
दबे पांव वो चलती थी
कोई सुन...ना..ले आहट मेरी
ये सोच के घबराती थी
परेशान तो मैं भी था उस रात
जब डोली उसकी सजी थी
दोनो के आँखों मे नमी थी
पर उसे किसी बात की कमी थी
दिखने में तो बड़ी सुंदर दिख रही थी
पर वो सोलह श्रृंगार बेजान सी लग रही थी
क्या....उसे मुझसे प्यार था
या.....कुछ और ही बात था
ये बात मुझे आज तक समझ नही आया
जब भी आती है वो गाँव में
उसे देखकर ऐसा लगता है
जैसे कोई मूरत हो बेजान सा ।।


🖋गनेश रॉय "रावण"🖋
भगवानपाली,मस्तूरी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
9772727002
©®


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