गनेश रॉय "रावण
"गरीबी की सियासत"
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चंद रुपय में बिकता है
जिश्म यहाँ गरीबी का
चिथड़े ढाँप रखा है तन
देखो खेल फकीरी का
दीन हीन सब विलाप रहे हैं
हाय ! रे खेल नशिबो का
अच्छा ठगा है किसी ने
खेल है बस कुर्सियों का
अपराधों का चलन बढ़ा है
राजनीति के साये में
पढ़े लिखे अब घूम रहे हैं
लिये हथियार बाजारों में
देखो सियासी बोल रहे हैं
चुनावी अखाड़ो में
अब गरीबी दूर होगा
इस बार चुनावों में
लेकर आस नेता जो चुनते
जनता हरबार चुनावो में
वही मुँह की खानी पड़ती
जुमले बस चुनावों के ।।
✒गनेश रॉय "रावण"✒
भगवानपाली,मस्तूरी,बिलासपुर, छत्तीसगढ़
9772727002
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