कालिका प्रसाद सेमवाल
अपना मुझे बना लो राम
दीन बंधु हो, दया सिन्धु हो,
भक्तो के रक्षक हो राम।
युगों युगों से अखिल विश्व के,
तुम ही संचालन हो राम।
मर्यादा पुरुषोत्तम तुम ही हो,
जन-जन के तुम प्राणाधार।
भक्ति शील सौंदर्य खान तुम,
तुम ही तो प्रभु करूणाधार हो।
हनुमानजी परम कृतार्थ हो गये,
नाथ तुम्हारी सेवा कर।
तब पूजन -अर्चन करने को,
सुर नर मुनि रहते तत्पर।
होगा तभी सार्थक नर-तन,
जब मुझको अपना लो राम।
करता हूं सर्वस्व समर्पित,
अपना मुझे बना लो राम।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
कालिका प्रसाद सेमवाल अपना मुझे बना लो राम
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