🥀शुभ प्रभात🥀
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सच्चा मानव कहलाता है
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जो जग का संताप मिटाने को,
अपने सुख को ठुकराता है,
वही मानव इस वसुधा पर
सच्चा मानव कहलाता है।
मिल जाते है जब भी दीन क़हीं,
बन जाता है उनका बन्धु वहीं।
हंस हंस कर जो आघात सहे,
संघर्षों में भी सौम्य रहे।
जो जीवन में विष पीकर,
पीयूष धरा पर बरसाता है।
वह मानव इस वसुधा पर,
सच्चा मानव कहलाता है।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
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