कैलाश , दुबे , हर सख्स की निगाह तुझ पर है ,

कैलाश , दुबे ,


हर सख्स की निगाह तुझ पर है ,


पर तू देख रही है मुझे ऐ हसीं ,


ये एहसान भी तुझ पर ही है ,


ये दिल सोच कर ही देना मुझे ,


मेरा तो खाली मकान आज भी है ,


कैलाश , दुबे ,


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511