कैलाश दुवे होशंगाबाद या खुदा मुझे भी

या खुदा मुझे भी एक कफन दे दे ,


मर सकूँ वतन के वास्ते कसम दे दे ,


न मेरे मरने का गम हो किसी को जरा भी ,


न तनिक किसी की रूह काँपे ,


मुझे तो मेरा वतन बस आजाद दे दे ,


कैलाश , दुबे ,


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...