कौशल महन्त"कौशल"
जीवन दर्शन भाग !!१६!!*
बालक बन जन्मा यहाँ,
हर्षित हैं माँ बाप।
किलकारी की गूँज में,
मिटे सभी संताप।
मिटे सभी संताप,
उजाला घर में फैला।
उपजी खुशी अपार,
प्रेम का भर-भर थैला।
कह कौशल करजोरि,
विधाता है संचालक।
देख पुण्य प्रारब्ध,
बनाया तुझको बालक।।
★★★
तुतली बोली बोल कर,
बाँट रहा आनंद।
रुदन कभी हँसना कभी,
मुस्काना भी मंद।
मुस्काना भी मंद,
बाल लीला है करता।
पल में बनता वीर,
और पल में है डरता।
कह कौशल करजोरि,
नहीं है सागर उथली।
महके ज्यों मकरंद,
तनय की बोली तुतली।।
★★★
माता की ममता भली,
और पिता का प्यार।
पूत सुता माता पिता,
बनते हैं परिवार।
बनते हैं परिवार,
प्यार जब पनपे मन में।
सुखी सदा संसार,
सुमत हो जब जीवन में।
कह कौशल करजोरि,
हृदय में प्रेम समाता।
बचपन का सुखधाम,
पिता पालक अरु माता।।
★★★
कौशल महन्त"कौशल"
🙏🙏🌹
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