कवि अतिवीर जैन,पराग,मेरठ .
9456966722
इक फूल सा -- - - - :-
कोहरे और बादलों को
चीरता नज़र आता है.
इक अरसे बाद सूरज
उगता नज़र आता है.
शीतलहर और कम्प्कपी से निजात दिलाता है.
इक फूल सा ख्वाबों में
खिलता नज़र आता है.
ठंड खाये कुम्हलाए पौधे
खिलते से नज़र आते है.
ठिठुरते इंसानों के ख्वाब
खिलते से नज़र आते है.
ठंड से बेरोजगार जब
रोज़गार पा जाते है.
इक फूल सा ख्वाबों में
खिलता नज़र आता है.
स्वरचित,
अतिवीर जैन, पराग,मेरठ
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