स्वतंत्र रचनाः २४५
दिनांकः १७.०१.२०२०
वारः शुक्रवार
विधाः दोहा
छन्दः मात्रिक
शीर्षकः 🥀मन मयूर स्वागत प्रिये!❤️
फूलों सा कुसमित वदन , अधरामृत मुस्कान।
चारुचन्द्र तनु चारुतम , हो कुदरत वरदान।।१।।
मधुर प्रेम मन रंजिता , चाहत मिलन अपार।
परिणीता वन्दित हृदय , बनूँ प्रीत रसधार।।२।।
कमलनैन रतिभंगिमा , अन्तर्मन अभिसार।
भ्रमर गुंज नित अर्चना , मनमादक शृंगार।।३।।
चंचल मन मधुरिम हृदय, सुरभित भाष सुहास।
मनोरमा हरिणी समा , मिलूँ हृदय अभिलास।।४।।
पीन पयोधर शिखर सम , त्रिवली सरिता धार।
लाल गाल रसाल मधुर , सुजन प्रीति उद्गार ।।५।।
अश्क नैन आतुर मिलन,प्रियतम मन मधुमास।
रिझा गान कोकिल समा , मुदित हृदय विश्वास।।६।।
देरी सुहाग अति रागिनी , राग मनोहर चित्त।
मन मयूर स्वागत प्रिये , प्रीत भाव आवृत्त।।७।।
उपालम्भ अनुराग प्रिय , दूँगी हास सुभाष।
सजूँ सुभग शृंगार तनु , मनमोहनी विलास।।८।।
बनूँ प्रेमिका राधिका , पिया माँग सिय राम।
भक्ति प्रीति मीरा बनूँ , प्रियवल्लभ सुखधाम।।९।।
रूप मनोहर चंद्रिका , दर्शन कवि अभिलास।
कुसमित सुष्मित कामिनी,कविता बन अहसास।।१०।।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक(स्वरचित)
नयी दिल्ली
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