कवि डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज' दोहे

स्वतंत्र रचनाः २५१
दिनांकः २२.०१.२०२०
वारः बुधवार
विधाः दोहा
छन्दः मात्रिक
शीर्षकः 🇮🇳नमन करूँ माँ भारती🇮🇳
नमन   करूँ   माँ   भारती , मातु    पिता   पदपद्म।
नमन  राष्ट्र  अरु  गुरुचरण , प्रीति हृदय  बिन छद्म।।१।.
लोकतंत्र   जनमन   वतन , पूजें   नव   अभिलास।
मिलें   साथ  चल  प्रगति पथ ,अमन  प्रेम विश्वास।।२।।
तजें    स्वार्थ    दुर्भावना , रमें    मनुज    कल्याण।
राष्ट्र   प्रेमरस   पान   कर , लगें      देश    निर्माण।।३।।
करें   सफल  निज  जिंदगी , हर  सेवा जन क्लेश।
तभी   राष्ट्र   निर्मल   सुखद , शान्ति  प्रेम  हो देश।।४।।
त्राहि   त्राहि   चारों   तरफ़ , मचा   हुआ   उत्पात।
लोग   विमुख   कर्तव्य  से ,  कुरेद  रहे   ज़ज़्बात।।५।।
कवि मनसि बस यही व्यथा, मिले आज सब चोर।
राष्ट्र   प्रजा   चिन्ता   किसे , मात्र   विरोधी   शोर।।६।।
जिससे   करते   प्यार  हम , तजे  अंत तन  साथ। 
करें प्रीत परहित  वतन , यश  अपयश बस  हाथ।।७।।
सोच   किसे    पर्यावरण , जलवायु       बदलाव।
स्वारथ  में   जग  लीन  है , चिन्ता  प्रकृति बचाव।।८।।
जीवन   दूसरों   के   लिए , मानवता     हितकाम।
तभी सफल मानव जनम , अमरकीर्ति  अभिराम।।९।।
लक्ष्य यान   चालक  भरें ,  हौंसलों   की    उड़ान।
आजीवन    अर्पण  वतन , दूँ   परहित    अवदान।।१०।।
कवि निकुंज  कवि  कामिनी , राष्ट्रभक्ति अनुरक्ति।
यशोगान   गाती  मुदित ,वतन प्रगति अभिव्यक्ति।।११।।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा 'निकुंज'
रचनाः मौलिक(स्वरचित)
नयी दिल्ली


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