कविता ,जीवन सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
       *"जीवन"*
"जीवन नाम है-गीत का,
उल्लास का-
उत्कर्ष और आनंद का।
जीवन ही जीवन देता यहाँ,
अटल नियम -
सृष्टि चक्र का।
श्रम साधना से ही तो,
पूर्ण होती इच्छाएं-
मिलता सुख जीवन का।
सत्य और सत्यानुभूति भी,
चाहती साधना-अराधना-
पूर्ण होती जीवन की कामना।
भक्ति संग ही चलता जो यहाँ,
जीवन पथ पर-
होता प्रभु से सामना।
फिर-
होती न भटकन जीवन में,
न होती कभी-
अधूरी कामना।
जीवन नाम है-गीत का,
उल्लास का-
उत्कर्ष और आनंद का।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःः         सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःःः        20-01-2020


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...