किशोर कुमार कर्ण
पटना बिहार
दो पुष्प ~~
वसंत आगमन पर
कुसुम पल्लवित पुष्प खिले
पावन दिन में
धरा पर दो पुष्प खिले
वो पुष्प सुवासित
ज्ञान सुगंधित महके
एक नभ का प्रकाश जयशंकर
तो दूजा धरा का मान निराला हुए
अनामिका, परिमल, गीतिका और अणिमा
निरालाजी की अविरल रचना हुई
कानन कुसुम, झरना, आंसू और कामायनी
जयशंकरजी ने अवर्णिय धाराएँ बहाई
---किशोर कुमार कर्ण
पटना बिहार
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