कुमुद श्रीवास्तव वर्मा कुमुदिनी लखनऊ,
बसन्त🌻🌻( चौपाई)
अलि बांवरा हुआ सखि देखो,
फूल फूल पर मंडराय है|
मकरंद लिपटी सगर तन पे,
बस इधर उधर बौवराय है|
पीला सूरज, पीली सरसों,
बही खेतों में रवानीं है|
ओढ़े धरती पीत चादर,
गोरी की चुनरी धानीं है|
फैल रही सुगंध कलियों की,
झरे सब पीत -पात धरा पर,
नये कोंपल संग वृक्ष झूमें
लिपटे लता प्रेम निज तनपर |
बसन्त सुनाता प्रिय संदेशा,
मास फाल्गून का आनें को,
रंग-बिरंगा हो अंबर भी,
देगा सौहार्द मिलानें को|
स्वागत कर दिल से मौसम का,
हवा बसंती भाये मोंहे,
सुख की धूप खिली सखि देखो,
ऋतुराज बसन्त सोहे मोंहे|
कुमुद श्रीवास्तव वर्मा कुमुदिनी लखनऊ,
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