कुण्डलिया छंद
अवनीश त्रिवेदी "अभय"
अभिनन्दन हैं आपका, हे! बसंत ऋतुराज।
जल्दी आप पधारिये, खूब बजे फिर साज।
खूब बजे फिर साज, अब मधुर कोयल गाये।
हर्षित सभी समाज, सदा उपवन महकाये।
कहत "अभय" कविराय, हैं हर धूल भी चन्दन।
पूजो माथ लगाय, करो इसका अभिनन्दन।
अवनीश त्रिवेदी "अभय"
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