मधु शंखधर 'स्वतंत्र'
प्रयागराज
गीत
विषय -माँ
माँ के सीने से लग करके,बहुत सुखद पल पाया है।
माँ ही ममता माँ ही जीवन, स्पर्श मातु का भाया है।।
माँ की गोदी में जब झूलूँ, पाऊँ मैं संसार नया।
सुख अहसास मिले कुछ ऐसा, दुख अपने से दूर गया।
अधर मधुर मुस्कान लाल के, मातु ईश की छाया है।
माँ के सीने से लगकरके............।।
माँ तूने ही जन्म दिया है,,ममता से ही पाला है।
अपने आँचल से माँ तूने ,पल पल मुझे सँभाला है।
हर माता है यशुदा जैसी, माँ की अद्भुत माया है।
माँ के सीने से लगकरके..............।।
अधर मधुर मुस्कान तुम्हारी, तू ही मातु हमारी है।
दुनिया भर में तेरी सूरत,मुझको सबसे प्यारी है।
माँ मैं भी हूँ अंश तुम्हारा, तेरा मुझ पर साया है।
माँ के सीने से लगकरके.............।
तेरे लाल कहाऊँ जग में, नाम तुम्हारा कर जाऊँ।
नींद न आए जब भी माता, तेरी गोद सिमट जाऊँ।
अनुपम जीवन देने को माँ, तूने मुझको जाया है ।।
माँ के सीने से लगकरके............।।
मधु शंखधर 'स्वतंत्र'
प्रयागराज
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