महेंद्र जैन 'मनु'
९८२७६१०५००
इन्दौर (म० प्र०)
मनहरण घनाक्षरी
कल किसने देखा हैं ?
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कल पे भरोसा करे ।
कल फिर कल करे ॥
कल नहीं आने वाला ।
कल - कल बोलता ॥१॥
देखता ही रहा करे ।
जनम मरन करे ॥
कल किसने है देखा ।
पल - पल तौलता ॥२॥
यहाँ वहाँ मारा फिरे ।
जनम गवाँरा करे ॥
अँन्धियारी गलीयों में ।
दिन रात डोलता ॥३॥
बिन ताला चाबी लिये ।
कर्महीन भाग्य लिये ॥
कल पर बात रखे ।
कैसा ताला खोलता ॥४
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