ममता कानुनगो इंदौर
ऋतुराज बसंत
बसंत ऋतुराज,
पहना केसरिया ताज,
बौर अंबुआ फूले,
मतवाली कोयल कूके,
भंवरों से गुंजा उपवन,
महका महका यौवन,
नवकोपल ने ली अंगड़ाई,
शाख पात सब मुस्काई,
धूप गुनगुनी हो गयी तीखी,
तान कोकिला सुनाए मीठी,
सतरंगी हुई दिशाएं,
टेसू पलाश खिलखिलाए,
वीणावादिनी ने स्वर छेड़ा,
रंग बासंती चहुंओर बिखेरा,
मां शारदा का करुं मैं पूजन,
बसंतोत्सव का हो रहा शुभागमन।
ममता कानुनगो इंदौर
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