मुक्तक ठंडक लता प्रासर पटना बिहार ठंडा ठंडा कह कह कर ठंड की गरिमा बढ़ा रहे

मुक्तक ठंडक लता प्रासर पटना बिहार


ठंडा ठंडा कह कह कर ठंड की गरिमा बढ़ा रहे
मौसमी हवाएं कानों में बसंती राग गुनगुना रही
खिल उठा है बगिया बगिया हरियाली बौराई है
कभी कुहासा कभी धूप की आंख मिचौली चल रही!
*लता प्रासर*


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