निधि मद्धेशिया कानपुर गीत

काव्यरंगोली हिंदी दिवस ऑनलाइन प्रतियोगिता आज सम्पन्न हो रही सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक किसी भी विषय ओर किसी भी विधा में रचना भेज सकते है। 


नाम- निधि मद्धेशिया (नम)
पता- कानपुर नगर
रचना-  *पंचतत्व*


पक्षी से सुन जाह्नवी 
का यौवन भार
पगला जाती मन्द बयार।


बेसुध पवन कणों को 
करती अंगीकार।


अम्बर से न मिले धरा,
ध्यान देता संसार।


खुशी दूर से देख 
मुफलिश मना 
लेता त्योहार।


सलाम दें ढ़लते 
सूर्य को,उन जनों
को मेरा नमस्कार।


कुदरती चीज के 
लिए तड़पता 
आदमी का प्यार।


जर्रे-जर्रे में भरा 
प्रकृति के,जीवन सार।


धरती को देकर
 वापस लेना
ए आसमा
सुना न देखा
 ऐसा प्रेम व्यापार।


निःस्वार्थ नहीं 
अगर फिर यह
प्रेम कैसा आधार।


मूल्य हर वस्तु 
का चुकाना आसान 
नहीं
फिर भी जीवन 
सार्थक है,
पंचतत्व साकार।


10/1/2020
🌞निधि मद्धेशिया
🇮🇳कानपुर
🎸उत्तर प्रदेश
🌹भारत



काव्यरंगोली हिंदी दिवस ऑनलाइन प्रतियोगिता आज।
10/1/2020🌹🎸


 



काव्यरंगोली हिंदी दिवस ऑनलाइन प्रतियोगिता 10 जनवरी 2020।🌹


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