निशा"अतुल्य"
बेटी
दिनाँक 22/ 1/ 2020
नन्ही नन्ही कलियाँ खिलती
हर उपवन को महकाती हैं
आबाद रहें ये फूले फलें
बुरी नजर न कोई कभी पड़े।
मत नोचों तुम बेदर्दी से
तुमसा कोई जन्म लेगा धरती पर इनसे
सृष्टि निर्माण कार्य तभी तो निर्बाध बढ़े
मत मारों इनको कोख में तुम
मत इनको तुम बर्बाद करो।
ये उपवन की कलियाँ महके
हर घर आँगन की क्यारी में
प्यार बरसता बातों से
काम सदा करती है ये
बस तुमसे ये हमदर्दी की
थोड़ी सी उम्मीद रखे ।
तुम भी साथ निभाओ इनका
आबाद रहे उन्नत भाल रहे इनका।
ये बेटी घर आँगन की
बहन किसी की बनके रहे
कल रिश्ते सभी निभाएगी
जो रिश्ते माँ जैसे हैं बने
जीवन साथी वो बन कर
फिर माँ का धर्म निभाएगी
तुम इसका मान करो मन से
ये सारे धर्म निभाएगी
आबाद रहे बेटी घर की
बस इतना तुम अहसान करो
मत मारो नोचों इसका तन और मन
इसका तुम सम्मान करो ।
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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