निशा"अतुल्य" लिफ़ाफ़ा  हाइकु

 



निशा"अतुल्य"


लिफ़ाफ़ा 
दिनाँक    17 /1/ 2020 
हाइकु


कैसा लिफ़ाफ़ा
जीवन रूप मिला
चाह अतृप्त।


कहीं रंगीन
बरेंग बिखरा कहीं
भटकता क्यों।


करना कर्म
पुरुषार्थ जरूरी
है जीवन में।


लिफ़ाफ़ा बांचु
मैं कैसे पाती बंद
बोलो साजन।
 
गोपाला तुम
निर्विकार दो ज्ञान
फिर से हमें।


संताप दूर
लेकर तेरा नाम 
हो बेड़ा पार।


हो कर्मक्षेत्र
विस्तारित सबके
भरे हों पेट।


जीवन मृत्यु
बना है सृष्टि चक्र 
सदा से तेरा।


आ करो कर्म
जो निमित तुम्हारे
धर्म जीवन।


स्वरचित 
निशा"अतुल्य"


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