प्रीत
दिनाँक 27/ 1/ 2020
प्रीत की रीत निभाये कान्हा
वृंदावन में छाए कान्हा
बैठ कदम्ब की छांव में
बंसी की तान सुनाए कान्हा।
सुध बुध खोए राधा रानी
सपनो में भी बस आये कान्हा ।
गोपिन जब पनघट पे जाए
रास की रीत दिखाए कान्हा ।
कर्म योग का उपदेश दिया जब
भूल गए वृंदावन कान्हा ।
भूले बंसी भूले कदम्ब को
सुदर्शन चक्र धारे कान्हा ।
मीरा ने भरा भक्ति का प्याला
राधा ने भी प्रीत निभाई कान्हा
द्रौपदी के बन कर सखा फिर
तुमने लाज बचाई कान्हा।
दिया गीता का ज्ञान जब तुमने
विरक्ति मन में जगाई कान्हा ।
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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