निशा"अतुल्य"
ऋतुराज
मनहरण घनाक्षरी छंद
सरसों है खिली खिली
धरा हुई पीली पीली
ऋतुराज आये अब
खुद को संभालिये।
गन्ध मकरंद हुआ
महक चमन गया
मधुमास आया अब
मन को मनाइये ।
भँवरे की है गुंजार
मन वीणा है झंकार
तितली सी उड़ चलूं
सब को बताइये ।
गेंदा खिला क्यारी क्यारी
रात फैले रात रानी
मद मस्त है पवन
ऋतुराज आइये ।
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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